Thursday, January 28, 2010

क्या तू मेरे साथ वहां थी ...

देश -विदेश
बादलो के पार
सपनो के गाँव
यादो की गलियां
और ज़िन्दगी की साँसे ...
बता तो क्या तू मेरे साथ वहां थी , जानां !!!

कोई फूलो की झुकी हुई डाली;
जिसे तुमने हँसते हुए छुआ हो ..

किसी झरने की तेज आवाजे;
जिसने मुझे मुग्ध किया हो ...

कोई शांत बहती नीली नदी;
जिसमे हमने सपनो को तैरते देखा हो ...

कोई दहकती हुई सिन्दूरी शाम;
जिसने हमारी झोली रंगों से भरी हो

किसी अनजान देवता की आरती ;
जिसमे तुमने मेरे संग दिये सजाया हो ...

कोई गहरे लाल सूरज की किरणे;
जो तेरे चेहरे पर पड़ रही हो ...

किसी शांत फुसफुसाते जंगल में
तुम्हारी मुस्कराहट की आवाजे हो..

कोई अजनबी सा जाना शहर
जहाँ मैं तेरा नाम लेता हूँ....

बता तो क्या तू मेरे साथ वहां थी , जानां !!!


कहीं थरथराते हुए जिस्मो की आग हो;
जिसमे हम जल रहे हो ....
कहीं उखड़ते हुए साँसों के तूफ़ान हो;
जिसमे हम बह रहे हो ....
कोई लबो के किस्से हो
कोई आँखों की बाते हो
कोई ज़िन्दगी के अहसासों की राते हो
जहाँ मैंने ज़िन्दगी जिया था .....
बता तो क्या तू मेरे साथ वहां थी , जानां !!!

देश -विदेश
बादलो के पार
सपनो के गाँव
यादो की गलियां
और ज़िन्दगी की साँसे ...
बता तो क्या तू मेरे साथ वहां थी , जानां !!!




Tuesday, January 19, 2010

मैं तब भी वही होता हूँ जानां !!!

मैं अक्सर हौले से चलकर तेरे घर आ जाता हूँ
तुम्हारे साथ में बैठकर तुम्हे देख भी लेता हूँ ;


और ,जब तुम घर के काम कर होती हो तो,
मैं तुमसे बाते करते रहता हूँ ...
यूँ ही , कुछ इधर -उधर की बाते ;
जिनका मतलब होता है कि;
मैं तुमसे प्यार करता हूँ ...


और हाँ ;
तेरे हाथो के कौरो में मेरा भी तो हिस्सा होता है ...
तुम जब चलती हो घर में ;
एक कमरे से दुसरे कमरे में जाते हुए .
तुम जान नहीं पाती हो कि ,
मैं भी तो होता हूँ उन्ही कदमो के साथ ..
और जब तुम नींद में जाती हो ;
तो मैं भी वहां लेटा हुआ तुम्हारी पीठ देखते रहता हूँ ..
और अपनी ऊँगली से उस पर तेरा और मेरा ;
नाम लिखते रहता हूँ ...


और जब तुम यूँ ही अचानक ;
ठहरी हुई हवा में मुझे ढूंढती हो ;
तो मैं मुस्कराता हूँ ...
फिर देखता हूँ कि ;
तुम्हारी आँखों की छोर पर
एक बूँद आंसू की ठहरी हुई होती है ;
मेरा नाम लिए हुए ...
तुम उसे पोंछ देती हो ;
ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं ...


मैं तब भी वही होता हूँ जानां !!!




Friday, January 8, 2010

तेरा इन्तजार कर रहा हूँ ...

कोई ज़िन्दगी की एक खामोश पहर थी ..
जब; मैं तेरे आगोश में खुद को खो बैठा था !!!

आसमान से कोई एक हाथ
जमीन पर उतर कर तुम्हारे माथे
पर मेरा नाम लिख गया

सपनो की साँसे तेरा नाम लेकर धड़कती रही
चांदनी रात भर शबनम की बूंदे
तेरे लबो पर छिड़कती रही

कोई टूटे हुए तारो के संग तेरा नाम लेता रहा ..
मैं तुझे ,बस तुझे देखता रहा ....

यूँ ही ..मैं अब अपने मन के शहर में
तेरा इन्तजार कर रहा हूँ ...

तुम कब आओंगी जानां !!!!