Saturday, January 29, 2011

तुम्हे याद करते करते............!!


अक्सर राते करवटे बदल बदल  कर गुजार देता हूँ.... मुझे ख्याल भी नहीं आता की  जिंदगी भी कुछ ऐसे ही करवटे बदल बदल कर बीत रही है और तुम कहीं नहीं हो..........वो सारे दिन और वो सारी राते ...जो तेरे संग  गुजारी थी अपने नर्म और गर्म अहसासों के साथ nonstop दिल पर दस्तक देती रहती है... और मैं चुपचाप  दिन को रात में और रात को सुबह में और फिर सुबह को शाम में और शाम को रात  में पिघल कर घुलते हुए देखते रहता हूँ... तुम जानती हो ? मैं कितने दिनों से सो नहीं पाया हूँ... अब तो  गिनती भी भूल  गया  हूँ.. कुछ याद  नहीं  सिवाय  तेरे...... और तेरे प्यार  के ...कुछ याद नहीं जानां ..तुम्हे याद करते करते कटती है  ज़िन्दगी सारी ...... !!






Friday, January 28, 2011

ओं मेरे उदास मन..चल कहीं दूर चले .


जानां ; ज़िन्दगी में जब रिक्तता आ जाती है तो सिर्फ शुन्य के अलावा कुछ नहीं बचता है . कुछ ऐसा ही अब है मेरी उस झोली में जिसमे तुमने कभी अपने प्यार से भरा था . तुमसे दूरी इतनी ज्यादा है की कुछ सहा नहीं जाता ,मन उदास हो चला है ,और लगता है की दुनिया में कुछ नहीं बचा सिवाय उन  प्यार भरे लम्हों के , जिसमे हमने प्राण फूंके थे . जानां , बहुत अकेला हूँ .. 

Tuesday, January 25, 2011

तेरे बिना ये ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो नहीं जानां ...


जानां ; तुम्हारे साथ बहुत सी अनजान जगहों पर घूमा हूँ , पर मन भरा नहीं है .. ऐसा लगता है की कई मंजिले और भी अभी बाकी है , जहाँ की फिजा में हमने सांस लेनी है .....कई रास्ते और भी बाकी है , जिन पर अपने पैरो के निशां छोड़ना है ..कई गलियां और भी है बाकी , जिनमे तेरे हाथ में अपने हाथ देकर घूमना है ,कई पुराने मंदिर के देवता हमारी  राह देख रहे है ... कुछ घने जंगल भी है , जिनमे मौजूद पेड़ो पर हमने अपना नाम लिखना है ...और बहती नदी के पानी में तेरे चेहरे  पर मौजूद  ख़ुशी को देखना है .. बहुत से सपने है ,जिन्हें पूरा होना है .. जिन्हें देखना है और फिर से देखना है और बार बार देखना है .. लेकिन...तुम नहीं तो ये सपने कैसे पूरे होंगे ... ये ज़िन्दगी अधूरी है ,तेरे बिना ये ज़िन्दगी , ज़िन्दगी तो नहीं जानां ..बस तुम नहीं हो .....हमारी मोहब्बत की कसक भर है ...




मैं जहाँ भी रहूँ , तुम मेरे साथ होती हो जानां ...


जानां , कोई ऐसा पल नहीं है , जब तुम याद नहीं आती हो . रातो को उठकर बैठ जाता हूँ, तुम्हे ढूंढता हूँ, दिन में पागलो की तरह तुमसे बाते करता हूँ , ज़िन्दगी वही रुकी हुई है , जहाँ तुमने मुझे छोड़ा था .. तन्हाईयाँ ने साँसों में तेरे नाम के सिवा कुछ नहीं रखा है .तुम्हारी तस्वीरे देखता हूँ, उनसे बाते करता हूँ , तुम्हरी चिट्टियाँ  पढता हूँ  और जार जार रोता हूँ. मैं जहाँ  भी रहूँ , तुम मेरे साथ होती  हो जानां ...



Monday, January 24, 2011

वो तीन दिन - फिर वही रात है ख्वाब की.


याद है तुम्हे जानां ,तुमने मुझे उन तीन  दिनों के बारे में क्या कहा था , जो हमने साथ गुजारे थे , एक पुराने से मंदिर और बहती नदी के तट पर....यक़ीनन वो हमारी ज़िन्दगी के सबसे कीमती दिन रात थे.....

तुमने कहा था ......

वो  तीन दिन .......तीन मिनिट से भी कम थे ......कुछ याद नहीं ....तुमने क्या कहा ..मैंने क्या सुना ....मैंने क्या कहा ...तुमने क्या सुना ... कुछ भी नहीं .....बस प्यार याद रहता है ....वो उगते सूरज को साथ साथ देखना याद रहता है .......वो रात को बैठकर मंदिरों को देखना ........आरती की आवाज सुनना याद रहता है ,वो डूबते हुए सूरज की लाली  का  तुम्हारी आँखों में और वहां से मेरे गालों पर बिखरना याद रहता है .





Friday, January 14, 2011

तन्हाई

जानां , अब सिर्फ तन्हाई है जीवन में , एक अजीब सा सूनापन..
अब कुछ नहीं है सिर्फ तन्हाई के ..
जानां ...अगले जनम पहले मिल जाना ...बस यही एक गुजारिश है ..


क्या यही प्यार है .. हाँ यही प्यार है ...!!!


आज के दिन तुमने मुझे ये लिखा था की "
मैं खुद को आईने में देखती हूँ और पीछे तुम नजर आते हो मुझे बाँहों में घेरते हुए ,कंधे पर चूमते हुए .ये  कैसा प्यार है ?"
हाँ जानां यही प्यार है . इसी को प्यार कहते है .. इसी को सच में सपना कहते है , यही एक बेपनाह मोहब्बत है  जो हम दोनों के बीच में है .. लेकिन ये दूरी , ये दुनिया के बंधन , ये दीवारे , ये सब भी  है हम दोनों के बीच  में .. मैंने तुम्हे और तुमने मुझे न जानते हुए भी प्यार किया और ज़िन्दगी के स्वर्णिम पलो को जिया .. ...हाँ यही तो प्यार है ....!!!







हाँ , मुझे मोहब्बत है जानां....

मैं सोचता हूँ , की तुम हो यहाँ मेरे पास ,
मैं सोचता हूँ ,  की तुम  नहीं हो यहाँ मेरे पास,
मैं सोचता हूँ की ....
क्या वो ख्वाब थे जो तेरे संग गुजरे
या हकीक़त थी  कोई ...
जानां , क्या कोई ऐसी बस्ती नहीं है ,
जहाँ मैं तेरे साँसों में अपनी साँसे मिला सकूँ ?
हाँ , मुझे  मोहब्बत है  जानां....


पल पल दिल के पास तुम रहती हो ..

जानां , सुबह से शाम और दिन से रात हो जाती है ... समय रुक नहीं पाता है. बस रुके हुए है तो वो लम्हे ,जो हमने साथ बिताये हुए है  . कोई ऐसा पल नहीं है ,जो होश में हो और तुम उसमे न हो .. दिन हो या रात का कोई पहर , जब भी जाग उठता हूँ.. सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचता हूँ .. तुम कैसी होंगी .क्या कर रही होंगी , क्या मुझे याद कर रही होंगी ... क्या तुम्हे वो पल याद नहीं आते है , जो हमने साथ गुजारे है ... जानां , तुम्हारे संग मिलन को जाना , तुम्हारे संग विरह को भी जान रहा हूँ .. ये कैसी बर्फ की तपिश है , जो मुझे हर वक़्त जला कर राख किये जा रही है .. जानां मैं तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ.

Tuesday, January 4, 2011

अच्छा तो हम चलते है .......!!!

जानां... जब भी मैं तुमसे विदा होता था ...तो हमेशा ही बहुत उदास हो जाता हूँ.. और तुम हमेशा ही ये गाना गाती थी .. और एक मुस्कराहट मेरे चेहरे पर आ जाती थी ....specially , जब तुम कहती हो..उफ़ हो मेरी तो घडी बंद है .... ....हमारे प्रेम में ऐसे कई fillers है , जो की , ऐसे है , जैसे की हमारे लिए ही बनाए हुए है .. ये गाना , हमारे प्यार का signature song है जानां... लेकिन ,सच तो ये है की मैंने कभी ये नहीं चाहा की तुमसे विदा हो जाऊं .. कभी भी नहीं ... एक पल के लिए भी नहीं .....I LOVE YOU जानां....!!

तुम संग नैना लागे रे....

जानां , प्रेम का कैनवास कितना बड़ा हो सकता है , ये मैंने  तुमसे मिल कर जाना . हमारा प्रेम अद्बुत है ..अनोखा है ,अनूठा है ..और इतना विहंगम है की उसे एक ज़िन्दगी के कैनवास में नहीं समाया जा सकता है .. हमारे प्रेम को बहुत ज्यादा space चाहिए अपने आपको express करने के लिए ....और छोटी छोटी बाते इस प्रेम को बहुत अनोखा बनाती है .. याद है तुम्हे हमारे बाथरूम की खिड़की में चिड़ियायें बोलती थी .. उनकी चहचाहट में जैसे हमारे प्रेम के शब्द समा जाते थे.. हम मौन ही रहकर एक दूजे से कितनी बाते कर लेते है .. और अब भी हम कितनी बाते कर लेते है बिना एक दूजे को कुछ बोले ...है न ..!!!


तुमको देखा तो.........!!

तुम्हे याद है जानां , जब हम पहली बार मिले तो तुमने मुझे अपने आलिंगन में ले लिए था और मैं तुम्हे देखता ही रह गया था .. पता नहीं क्या जादू था तुम्हारे चेहरे पर मुझे तुम बहुत अपनी सी लगी थी , लगा ही नहीं था की हम पहली बार मिल रहे है .. तुम्हे याद है , जब हम ऑटो में बैठकर अपने घर [ मैं उसे हम दोनों का  घर ही कहूँगा ... क्योंकि हम अब भी वहां मौजूद है और हमारी आत्माए अब भी balcony   में बैठकर बहती नदी को देखती है ] जा रहे थे ,तो सारे रास्ते मैं तुम्हे देखता रहा था .. कैसी अजीब सी कशिश थी .. तुममे .. तुमको देखा तो लगा पहले के मिले हुए है और बहुत दिनों बाद फिर से मिल रहे है .. तुम्हे पता है जानां  , मैं अब भी तुम्हे वैसे ही देखता हूँ...........और हमेशा ही देखते रहूँगा .. चाहे तुम मेरे पास रहो और या मुझसे दूर रहो .. लेकिन मैं तुम्हे एक बात बताऊँ.. तुम मुझसे कभी भी दूर  नहीं रहती हो... मेरे पास ही हो तुम जानां ...!!!

Sunday, January 2, 2011

एक खुली खिड़की...............!!!



मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ गिरती हुई बर्फ देखना चाहती हूँ .
मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ ढलती हुई साँझ देखना चाहती हूँ .
मैं एक खुली हुई खिड़की से तुम्हारे साथ उगता हुआ चाँद देखना चाहती हूँ .
मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ जिंदगी को गुजरते हुए देखना चाहती हूँ