मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ गिरती हुई बर्फ देखना चाहती हूँ . मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ ढलती हुई साँझ देखना चाहती हूँ . मैं एक खुली हुई खिड़की से तुम्हारे साथ उगता हुआ चाँद देखना चाहती हूँ . मैं एक खुली खिड़की से तुम्हारे साथ जिंदगी को गुजरते हुए देखना चाहती हूँ
बहुत सुन्दर गाना लगाया है……………सिर्फ़ यही कहूँगी
ReplyDeleteहज़ारो ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले
अब नही सुलगते वो अरमाँ जो मेरा दम निकले