Wednesday, October 7, 2009

आभार ऐशो [ फिर आना ]


आभार ऐशो [ फिर आना ]

सुबह का सूरज आज जब मुझे जगाने आया
तो मैंने देखा वो उदास था
मैंने पुछा तो बुझा बुझा सा वो कहने लगा ..
मुझसे मेरी रौशनी छीन ले गयी है ;
कोई तुम्हारी चाहने वाली ,
जिसके सदके मेरी किरणे
तुम पर नज़र करती थी !!!

रात को चाँद एक उदास बदली में जाकर छुप गया ;
तो मैंने तड़प कर उससे कहा ,
यार तेरी चांदनी तो दे दे मुझे ...
चाँद ने अपने आंसुओ को पोछते हुए कहा
मुझसे मेरी चांदनी छीन ले गयी है
कोई तुम्हारी चाहने वाली ,
जिसके सदके मेरी चांदनी
तुम पर छिटका करती थी ;

रातरानी के फूल चुपचाप थे
मैंने उनसे कहा ,दोस्तों
मुझे तुम्हारी खुशबू चाहिए ,
उन्होंने सर झुका कर कहा
हमसे हमारी खुशबू छीन ले गयी है
कोई तुम्हारी चाहने वाली ,
जिसके सदके हमारी खुशबू
तुम पर बिखरा करती थी ;

घर भर में तुम्हे ढूंढता फिरता हूँ
कही तुम्हारा साया है ,
कही तुम्हारी मुस्कराहट
कहीं तुम्हारी हंसी है
कही तुम्हारी उदासी
तुम क्या चली गयी
मेरी रूह मुझसे अलग हो गयी

यहाँ अब सिर्फ तुहरी खूबसूरत यादे है
जिनके सहारे मेरी साँसे चल रही है ....

आ जाओ प्रिये
आभार ऐशो प्रिये
आभार ऐशो !!!!!

15 comments:

  1. कही तुम्हारा साया है ,
    कही तुम्हारी मुस्कराहट
    कहीं तुम्हारी हंसी है
    कही तुम्हारी उदासी
    तुम क्या चली गयी
    मेरी रूह मुझसे अलग हो गयी

    यहाँ अब सिर्फ तुहरी खूबसूरत यादे है
    जिनके सहारे मेरी साँसे चल रही है ....

    आ जाओ प्रिये
    आभार ऐशो प्रिये
    आभार ऐशो !!!!!

    दिल से निकली गहरे स्नेह को अभिव्यक्त करती, सम्मान करती सुमधुर अपील...............

    चन्द्र मोहन गुप्त
    जयपुर
    www.cmgupta.blogspot.com

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  2. कही तुम्हारी उदासी
    तुम क्या चली गयी
    मेरी रूह मुझसे अलग हो गयी
    बहुत बढिया सतप्थी जी नया ब्लाग शुरु करने पर
    शुभकामनाऐं

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  3. Bahut Barhia... aapka swagat hai...isi tarah likhte rahiye

    thanx
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  4. घर भर में तुम्हे ढूंढता फिरता हूँ
    कही तुम्हारा साया है ,
    कही तुम्हारी मुस्कराहट
    कहीं तुम्हारी हंसी है
    कही तुम्हारी उदासी
    तुम क्या चली गयी
    मेरी रूह मुझसे अलग हो गयी

    यहाँ अब सिर्फ तुहरी खूबसूरत यादे है
    जिनके सहारे मेरी साँसे चल रही है ....


    wowwwwwwwwwwwwwwww

    aapka andaz to lagta hai mere alfaz apki kalam s enikale ho jaise..dil tak pahunch jate hai..bahut dard bhara likha hai is bar phir

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  5. विजय ने ख्वाबों के दामन से चुरा लिया कुछ खास।
    हृदय भाव अंकित करने का अच्छा लगा प्रयास।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  6. कही तुम्हारी उदासी
    तुम क्या चली गयी
    मेरी रूह मुझसे अलग हो गयी
    Bahut sunder Wirah kee tadap se ot-prot.

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  7. चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. आप बहुत अच्छा लिख रहे हैं, और भी अच्छा लिखें, लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
    ---

    ---
    हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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  8. शब्दों की यह गुथी हुई मधुरता,
    अतिउत्तम सतपथी जी

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  9. अरे वाह !!! आप एक और नये ब्लाग के साथ । बहुत ही भावपूर्ण रचना । आभार

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  10. बहुत बढिया लिखा आपने .. हिन्‍दी चिट्ठा जगत में इस नए चिट्ठे के साथ आपका स्‍वागत है .. उम्‍मीद करती हूं .. आपकी रचनाएं नियमित रूप से पढने को मिलती रहेंगी .. शुभकामनाएं !!

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  11. सुबह का सूरज आज जब मुझे जगाने आया
    तो मैंने देखा वो उदास था
    मैंने पुछा तो बुझा बुझा सा वो कहने लगा ..
    मुझसे मेरी रौशनी छीन ले गयी है ;
    कोई तुम्हारी चाहने वाली ,
    जिसके सदके मेरी किरणे
    तुम पर नज़र करती थी !!!
    bahut sundar shabd aur bhav
    badhai ho

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  12. mujhe to bhai dil rakhni bateyn nahi aati. rachna ye aapki achhi to hai par khas nahin

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