Tuesday, January 19, 2010

मैं तब भी वही होता हूँ जानां !!!

मैं अक्सर हौले से चलकर तेरे घर आ जाता हूँ
तुम्हारे साथ में बैठकर तुम्हे देख भी लेता हूँ ;


और ,जब तुम घर के काम कर होती हो तो,
मैं तुमसे बाते करते रहता हूँ ...
यूँ ही , कुछ इधर -उधर की बाते ;
जिनका मतलब होता है कि;
मैं तुमसे प्यार करता हूँ ...


और हाँ ;
तेरे हाथो के कौरो में मेरा भी तो हिस्सा होता है ...
तुम जब चलती हो घर में ;
एक कमरे से दुसरे कमरे में जाते हुए .
तुम जान नहीं पाती हो कि ,
मैं भी तो होता हूँ उन्ही कदमो के साथ ..
और जब तुम नींद में जाती हो ;
तो मैं भी वहां लेटा हुआ तुम्हारी पीठ देखते रहता हूँ ..
और अपनी ऊँगली से उस पर तेरा और मेरा ;
नाम लिखते रहता हूँ ...


और जब तुम यूँ ही अचानक ;
ठहरी हुई हवा में मुझे ढूंढती हो ;
तो मैं मुस्कराता हूँ ...
फिर देखता हूँ कि ;
तुम्हारी आँखों की छोर पर
एक बूँद आंसू की ठहरी हुई होती है ;
मेरा नाम लिए हुए ...
तुम उसे पोंछ देती हो ;
ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं ...


मैं तब भी वही होता हूँ जानां !!!




3 comments:

  1. तुम्हारी आँखों की छोर पर
    एक बूँद आंसू की ठहरी हुई होती है;
    मेरा नाम लिए हुए...
    तुम उसे पोंछ देती हो;
    ये देखते हुए कि किसी ने देखा तो नहीं...
    देखने वाले फिर भी देख लेते हैं - अति सुंदर.

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  2. ab is post ke bare mein kya kahun..........bahut hi bheege huye jazbaat hain jo kahin thahar hi nhi pa rahe na jaane kis aas par machalte hi ja rahe hain.......ek behtreen nazm.......dil ko choo gayi.

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  3. vijay ji bahut sunder likha hai.

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