Thursday, December 30, 2010
दिल तो बच्चा है जी .... !!!
तुम्हे याद है वो दिन ..हलकी हलकी बारीश हो रही थी और हम दोनों खो गए थे किसी पुराने मंदिर को जाती हुई सड़क पर .. वो एक अजनबी सा पुराना शहर था .. लेकिन कितना अपना था .. हम कई बार उस शहर की सडको पर यूँ घूम चुके है की ,लगता है की किसी पिछले जन्म में ,हम वही रहते थे.. .....!!! जानां , जब हम मंदिर को जाने वाली सड़क का पता पूछ रहे थे तो, तुम्हारे रेडियो पर ये गाना बज रहा था... आज सुबह उस गाने को सुना तो वो सड़क याद आई, वो मंदिर याद आया, वो शहर याद आया ,तुम्हारी कार में बजता हुआ वो रेडियो याद आया , और इस गीत के साथ तुम भी याद आई ...लेकिन , मैं तुम्हे भूला कब हूँ जानां .....बस कदम फिर उस सड़क पर फिर खो जाने को बेताब है ..........!!!
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बहुत ही सुंदर............
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...
*काव्य- कल्पना*:- दर्पण से परिचय
*गद्य-सर्जना*:-जीवन की परिभाषा…..( आत्मदर्शन)