याद है तुम्हे जानां, उस छोटे से शहर के होटल की लिफ्ट में मैंने जब तुम्हे छुआ था .....उस वक़्त मेरा मन ये हो रहा था की वो लिफ्ट बंद हो जाए और मैं तुम्हे ये गाना सुनाऊं ..मैं ये गाना बहुत गाता था , जब मैं 10th में था .. कभी कभी सोचता हूँ तो वो सारे दिन जो तुम्हारे संग बिताये थे , बहुत याद आते है ...मन भाग भाग कर वही जा पहुँचता है .. तब एक समाधि की स्थिति में मैं अपने आपको देखता हूँ तो ये पता चलता है की , मेरा शरीर मात्र ही यहाँ है , मन और आत्मा तुम्हारे साथ ही उन अजनबी शहरो और जंगलो में विचर रही है ....तुम बहुत याद आ रही हो जानां ...
Saturday, February 5, 2011
लिफ्ट में मैंने जब तुम्हे छुआ था ...
याद है तुम्हे जानां, उस छोटे से शहर के होटल की लिफ्ट में मैंने जब तुम्हे छुआ था .....उस वक़्त मेरा मन ये हो रहा था की वो लिफ्ट बंद हो जाए और मैं तुम्हे ये गाना सुनाऊं ..मैं ये गाना बहुत गाता था , जब मैं 10th में था .. कभी कभी सोचता हूँ तो वो सारे दिन जो तुम्हारे संग बिताये थे , बहुत याद आते है ...मन भाग भाग कर वही जा पहुँचता है .. तब एक समाधि की स्थिति में मैं अपने आपको देखता हूँ तो ये पता चलता है की , मेरा शरीर मात्र ही यहाँ है , मन और आत्मा तुम्हारे साथ ही उन अजनबी शहरो और जंगलो में विचर रही है ....तुम बहुत याद आ रही हो जानां ...
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