मेरी जानां ,
सोचा तो यही था कि कभी वेनिस जायेंगे . और वहां की पैलेस नदी की ठंडी लहरों पर किसी गोंडोला में बैठकर , जिसका नाविक कोई प्यारी सी रोमांटिक धुन गुनगुना रहा हो; एक दुसरे के आलिंगन में वेनिस को देखेंगे .
और जब सांझ का सूरज अपनी सिंदूरी लालिमा के साथ इस नदी में डूबे, तब; जीवन की उस बेला में हमारी नाव शाय ब्रिज के नीचे से गुजरे !
नाव ठहरे . जीवन ठहरे . हम ठहरे और एक पुरानी सी रोमांटिक प्रथा के अनुसार एक दुसरे को चूमे .ताकि हमारा प्रेम अमर हो जाए . हमेशा के लिए !
पता है उस ब्रिज के एक ओर एक पैलेस है और दूसरी ओर एक जेल . ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है जानां ....हमारे प्रेम की सड़क के एक ओर कठोर समाज है और दूसरी ओर हमारी अपनी ज़िन्दगी !
समय थमा हुआ है !
सब कुछ वैसा ही है . कुछ भी नहीं बदला .
वेनिस अब भी रोमांटिक है .
पैलेस नदी की लहरे अब भी बहती है . ठंडी !
गोंडोला अब भी जोड़ो को लेकर उस नदी की लहरों पर बहते है .
नाविक अब भी रोमांटिक गीत गुनगुनाते है.
शाय ब्रिज अब भी कई प्रेमियों के प्रेम का, आलिंगन का और प्रणय चुम्बनों का गवाह है.
सूरज अब भी अपनी लालिमा के साथ उस नदी में अपने अमरत्व के साथ भीगते हुए डूबता है.
और मैं भी हूँ एक अंतहीन इन्तजार में युग के समाप्त होने की राह देखते हुए.
समय थमा हुआ है !
और कोई यदि नहीं है
तो वो तुम हो !
तुम !
किसने कहा नहीं हूँ
ReplyDeleteमैं तो वहीं हूँ हर पल
जब जब तुमने
अपने पुरज़ोर ख्यालों में
मेरा आलिंगन किया ,
मुझे पुकारा और
समय के सीने पर
एक बोसा लिया
कब और कहाँ दूर हूँ तुमसे
सिर्फ़ शरीरों का होना ही तो होना नहीं होता जानाँ ………
जब ख्यालों की सरजमीं पर
यादों की कोंपलें खिलखिलाती हों ,
हर लम्हे में एक तस्वीर मुस्काती हो,
हर ज़र्रे ज़र्रे में महबूब की झलक नज़र आती हो
वहाँ कौन किससे कब जुदा हुआ है
ये तो बस अक्सों का परावर्तन हुआ है
तुममें समायी मैं
तुम्हारी आँखों से देखती हूँ कायनात के रंगों को ,
तुममें समायी मैं
साँस लेती हूँ तुम्हारे ख्यालों के आवागमन से ,
तुममें समायी मैं
धडकती हूँ बिना दिल के भी तुम्हारे रोम रोम में
तो कहो भला कहाँ हूँ मैं जुदा ………तुमसे !
अब कभी मत कहना ………सब कुछ है …बस तुम ही नही हो कहीं
क्योंकि
तुम्हारा होना गवाह है मेरे होने का …………….
मोहब्बत में विरह की वेदी पर आस पास गिरी समिधा को कभी देखना गौर से…….
बुम्बाट रोमांटिक !
ReplyDeleteअद्धभुत ......यादों में बसे प्रेम से परिचय करवा दिया
ReplyDeleteगज़ब!
ReplyDeleteजाने क्यों लोग बिछड़ने का गिला करते हैं
ReplyDeleteहमसे वो ऐसे।मिला फिर कभी बिछड़ा ही नहीं