Friday, December 31, 2010

बोल न हलके हलके ...

तुम्हे याद है जानां ...कई बार ऐसा हुआ है की तम्हारे साथ लम्बे सफ़र में अक्सर ये गाना बजता था . मुझे ये गाना बहुत पसंद है और तुम्हारे साथ खूब गुनगुनाता भी था .. वो लम्बी सी long drive .... वो सड़क के किनारे के किसी होटल में नाश्ता करना .. और फिर कभी कभी तुम्हे छूना .. तुम्हे देखना .. फिर कितनी सारी कभी न ख़त्म होने वाली बाते .. सफ़र कब ख़त्म हो जाता था , पता ही नहीं चलता था ...याद है , एक बार हमने सड़क के किनारे रुक कर खेतो से ओले [ चने के पौधे ] तोड़े थे ....कितनी सारी यादे...सारे लम्हे अक्सर रातो को दिए बन कर दिल में जलते है जानां ....तुम क्या जानो तन्हाईयो की आहटो को ....हमारे सफ़र के वाहन बने , ऑटो, रिक्शा ,ट्रेन, कार, उड़न खटोला , नाव, boat , cruize ..और कितना सफ़र तो हमने हाथो में हाथ डालकर पैदल ही तय किया है ....और कुछ याद नहीं आ रहा है....बस आँखे धुंधला जाती है तेरे नाम के पानी से ............

1 comment:

  1. बस आँखे धुंधला जाती है तेरे नाम के पानी से ............

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