Sunday, April 1, 2012

अजनबी शहर, रामनवमी की झांकियां , तुम और मैं और शेष प्रेम !!!



तुम्हे याद है , उस दिन भी रामनवमी थी , जब हम उस अजनबी शहर में बस यूँ ही घूम रहे थे , इस मंदिर के दर्शन करने के बाद वापस आ रहे थे. उस दिन शहर में झांकियां निकल रही थी . कितना धार्मिक माहौल था .. और हम ईश्वर के आशीर्वाद को जो कि हमें प्रेम के प्रसाद के रूप में मिल रहा था ; बस जी रहे थे .. बस जीवन वही था ......धर्म, कर्म , तुम , मैं और प्रेम......!

अब बस यादे ही रह गयी है ....सिर्फ यादे , मैं तो हूँ, पर तुम नहीं !!!





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