Thursday, October 8, 2009

तेरे जाने का समय ...


तेरे जाने का समय ....

जब तेरे जाने का समय आता है ,
तो जाने कैसा लगता है
जैसे मैं धीमे धीमे मर रहा हूं !!!

एक पल ;
तू रुक तो जरा !!!

मैं एक गहरी साँस ले लूँ ......

तेरी साँसों को ,तेरी आँखों को,
तेरी जुल्फों को , तेरी खुशबु को,
तेरे हाथों को , तेरे एहसास को भर लूँ ...

हाँ , अब तुम जा सकती हो.....
हाँ , अब मैं मर सकता हूँ......

7 comments:

  1. जब तेरे जाने का समय आता है ,
    तो जाने कैसा लगता है
    जैसे मैं धीमे धीमे मर रहा हूं !!!
    एक पल ;तू रुक तो जरा !!!
    judaai ka pal kuchh aesa hi hota kuchh isi tarah ki ek meri rachana hai mauka mila to likhungi .
    laazwaab hai

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  2. बड़े तसल्ली के साथ मरने वाले आदमी हैं आप तो !
    उसे भी रोक कर रखे हैं।
    ..
    टहरिए होश में आ लूँ तो चले जाइएगा।

    हाय !

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  3. क्या बात है जी...अरे जाने ही न दीजियेगा उसे.
    बहुत खूब रंग है इस हिज्र के लम्हे का.

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  4. ख़ूबसूरत ख्याल....ज़िन्दगी अधूरी लगे जिसके बिना..
    .जीने की तमन्ना बाकी न हो...भावपूर्ण रचना

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  5. waqt do gujre mushkil

    ek tere aane se pahle
    ek tere jaane ke baad

    magar shayad ek waqt ye bhi hota hai

    jab bichhadne ka samay aata hai to premi na jane kitni maut mara karte hain..........is kshan ko aapne bahut hi gahri bhavnaon ke sath bandha hai.

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