Saturday, October 16, 2010



कल अचानक ही एक याद ने रास्ता रोक लिया
कहने लगी ...मुझे भूल गए ? कैसे ?
मैं तो तुम्हारी सबसे बड़ी निधि हूँ मेरे दोस्त !!!

मैंने देखा तो उस याद पर वक़्त की धुल और दुनिया के जाले ,
दोनों ने अपनी शिकस्त जमाई हुई थी ;
मैंने अपने आंसुओ से उस याद को साफ़ किया तो देखा की ;
तुम थी उस याद में ,

मेरे साथ , एक अजनबी शहर में ; मेरे बांहों में ;
कुल जहान की खुशियाँ समेटे हुए ;
और भी कुछ था
 देखा तो एक मौन था ,  
कुछ आंसू थे ,  
उखड़ी हुई साँसे थी
मेरा नाम था और सुनो जांना ,  
तुम्हारा भी नाम था ......

हम मिले और जुदा हो गए ....
शायद फिर मिलने के लिए ....
शायद फिर जुदा होने के लिए..

ज़िन्दगी की परिभाषा ,जैसे हम सोचते है .....
वैसी नहीं है .......
प्रेम बलिदान मांगता है और हम दे रहे है .....

कितनी बातें थी ..कितनी यादें थी ....
मैं निशब्द हूँ और मेरी आँखे ही सब कुछ कह रही है ....
बहुत कुछ ..शब्दों से परे ...
मौन के काल-पट  पर ,आंसुओं से लिखते हुए ..
सुनो जांना , क्या तुम्हारे भी आंसू बह रहे है 

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